बे-तख़ल्लुस
manu
Monday, December 8, 2008
मैं तर्ज़ की बात कर रहा था ....मैं ख़ुद को अपनी जगह ठीक पा रहा था और मुफलिस साहब के बयान से भी संतुष्ट था....हम लोग कहते हैं न के फलां गीत की तर्ज़ कैसी है ...है ना....? तो मैंने अपनी अकल का इस्तेमाल करने के बजाय बाहर खोज बीन करना ठीक समझा ..........और पाया के तर्ज़ उभयलिंगी शब्द है .......दोनों तरह से इस्तेमाल हो सकता है.......लेकिन कहीं कुछ चूक रह गए थी ...फैशन शब्द ठीक था ...........पर ये शब्द शैली ...पद्धति ....से होता हुआ फैशन बना था........तो थोड़ा दूर हो गया था, मेरे पोस्टिंग वाले फॉण्ट में कुछ गड़बड़ है शायद ....बाकी का हिन्दयुग्म वाले फॉण्ट से लिखता हूँ...........जाइयेगा नहीं....................
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
11 comments:
ये तो नाइंसाफी है मनु जी ,हम आपके दुसरे कमेन्ट का इंतजार करते रहे और आप आ कर फिर चुप चाप चले गए...?
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, शुभकामनायें…
bahut khoob likha hai.
स्वागत है आपका।
हिंदी के लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। अच्छा लिखे । नाम कमाएं। हार्दिक शुभकामनायें।
Swagat hai...mere blogpe kuchh samayik halatse bbbbehad takleef paake ek aawaaz uthayi hai...zaroor padhen...
wah jee wah, narayan narayan
logon k chehron pr tak jhank karna acchi bat nahi Manu ji....aapko kya lagta hai mai hamesa roti rehti hun...? ab to rone wale bhot se mil gaye hain safar kat jayega.
आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
aapki paintings bahut acchi hai , pahle to uski badhai le lijiye .
aap likhte bhi bahut acche hai . ab iski bhi badhai le lijiye .
aur lagta hai ki aap kuch kuch mere jaise hai , iski bhi badhai le lijiye.
aapko bahut bahut badhai
maine kuch naya likha hai , aapka aashirwad chaiye.
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
Post a Comment