तुझपे दिल आशना नहीं होता,
कैसे होती कलाम में खुशबू,
दिल अगर फूल सा नहीं होता.........!!!!!
मेरी बेचैन धडकनों से बता,
कब तेरा वास्ता नहीं होता
खामुशी के मकाम पर कुछ भी
अनकहा, अनसुना नहीं होता
आरजू और डगमगाती है
जब तेरा आसरा नहीं होता
आजमाइश जो तू नहीं करता
इम्तेहान ये कडा नहीं होता
हो खुदा से बड़ा वले इंसां
आदमी से बड़ा नहीं होता
ज़ख्म देखे हैं हर तरह भरकर
पर कोई फायदा नही होता
राह चलतों को राजदार न कर
कुछ किसी का पता नहीं होता,
जिसका खाना खराब तू करदे
उसका फिर कुछ बुरा नहीं होता
मय को ऐसे बिखेर मत जाहिद
यूं किसी का भला नहीं होता
इक तराजू में सब को मत तौलो
हर कोई एक सा नही होता
अब वो आँचल रवा नहीं होता
रात होती है दिन निकलता है
और तो कुछ नया नहीं होता
हम कहाँ, कब कयाम कर बैठें
हम को अक्सर पता नहीं होता
सोचता हूँ, के काश हव्वा ने
इल्म का फल चखा नहीं होता
होता कुछ और, तेरी राह पे जो
'बे-तखल्लुस' गया नहीं होता