आज किसी ने भगवान् बुद्ध की मूर्ती के दर्शन करा दिए हैं सवेरे सवेरे तो सोचा.......
क्यूं ढूंढता हूँ अंधेरों में रूहे ताबानी ,
दर्द से मैं भी तो घबरा के भाग सकता हूँ..
पर मैं घर बार को ठुकरा के जी नहीं सकता,
मैं भी गौतम हूँ मगर और ही तरह का हूँ...
मेरे अश'आर कोई भी,कहीं भी गा लेगा..! 'बे-तख़ल्लुस' हूँ मुझे कोई भी अपना लेगा..!!
8 comments:
प्रिय मनु भाई ...
मुझे लगता है की मेरे ब्लॉग में मौजूद बुध ने आमिट छाप छोडी है आपके मन में ....
सच तो यही है की , जीवन यथार्थ में हम संसार से विरक्त नही हो सकतें है ..पर हम एक living Budhha जरुर बन सकते है .... जीवन की मांग भी यही होती है ... संसार में रहकर निर्वान को प्राप्त हो ... मैंने osho के संग रहकर यही सीखा है ..
.और आप इतनी अच्छी पेटिंग्स बनाते है , की इच्छा होती है ,आपके उँगलियों को सलाम करूँ ...
भाई , कभी फुरसत हो तो मुझ पर भी कृपा करो और मेरी एक पेंटिंग बना ले मेरे यार..
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ...
विजय
http://poemsofvijay.blogspot.com/
"..dil talak jaane ka rastaa bhi to niklaa dil se ,
ye shikaayat to faqat ek bahaana niklaa..."
---MUFLIS---
kya likha hai bhai.badhai.
bahut hi sundar likha hai .
Its too good that you are a painter
and poet. can I use ur paintings on my blog alongwith ghazals.
Sundar abhivyakti.
वाह...
बहुत सुंदर पेंटिंग्स....
...बहुत सुंदर रचनाएं....
आपके ब्लाग पर आना अच्छा लगा...
बधाई मनु जी...
आपके टिप्पणियों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मनु जी! आपने सही फ़रमाया मैंने इस पेंटिंग में हल्का सा वाश किया है ताकि बिल्कुल नैचुरल लगे ! मैं आपके नए पोस्ट का इंतज़ार कर रही हूँ!
अच्छा लिखा है आपने! आपके सभी कविता और रचना एक से बड़कर एक है!
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