बे-तख़ल्लुस

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'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

manu

Saturday, November 29, 2008

क्या जोर-ऐ-सितम जाने,
लीडर की है पैदाइश ,
नाजों से पला है इक ,
गुलदस्ते का गुँचा है

2 comments:

Anonymous said...

bahut achhaa laga aapka sher

Bahadur Patel said...

bahut pyara hai.