बे-तख़ल्लुस

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'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

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Monday, November 2, 2009



एम.एफ। और एफ एम। दो ऐसे शब्द जिन से जब तब मुलाकात हो जाती है। एक एम एफ तो बहुतेरे लोगों के गले ही नहीं उतरता यानी अपना एम एफ हुसैन ! और एक एफ.एम.के बगैर बहुतेरों को दुनिया ही सूनी लगती है यानी एफ.एम.रेडियो! अपना मिजाज़ काफी लोगों से अक्सर मेल नहीं खाता। एम.एफ.बेचारे में तो अपने को ऐसी कोई ख़ास कमी नहीं लगती जिस के चलते इतना बवाल होता है। और आप भी सोच कर देखें ...कुछ ज़्यादा ही नहीं हो जाता भले आदमी के साथ..? और अब ज़रा एफ.एम.महोदय की भी सुध लें.... कितने ही लोग हैं जिनकी सुबह एफ.एम.के किसी न किसी चैनल से होती है जो अक्सर देर रात तक तारी रहता है। एफ.एम.गोल्ड की बात छोड़ दें तो ज्यादातर के साथ मेरा तज़ुर्बा कड़वा ही रहा है। हालांकि मैं चाह कर भी एफ.एम.नहीं सुन पाता लेकिन जब कभी भी न चाहते हुए भी सुना है तो मेरी चाहत ने इससे तौबा ही की है। गीत की पसंद की तो बात करना बेमानी होगा क्योंकि वो तो सब मुट्ठी भर लोगों की मर्ज़ी से ही बजते बनते हैं। हाँ !जब मुसलसल सुनते सुनते कान पक जाते हैं और मजबूरन इनके आदी जाते हैं तो मेरे जैसे बाकी बेबस श्रोताओं की तरह मुझे भी इनकी सुपर-डूपेर्टी कबूलनी पड़ती है। ये तो बात हुई संगीत माफिया की या कह लें के पूँजीवाद की जिनका के एक निरीह श्रोता कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मगर इन उदघोषकों से अवश्य ही प्रार्थना करना चाहूँगा के कम से कम आप लोग अर्थपूर्ण गीत न बजाया किजीये। गलती से आ गयी फरमाइश पे भी नहीं!इनका बड़ा अनर्थ होता है।कोई भी गंभीरता से संगीतबद्द किया गीत सुनने के फ़ौरन बाद आर.जे.की बेसिर पैर की उन्मुक्त चटर पटर तमाचे जैसी लगती है। जैसे "बिछडे सभी बारी बारी....!" चल रहा है और आधे अधूरे रफी साहब को एन बीच में घोटकर पूरी मस्ती में चहकना 'ओ.के.फ्रेंड्स !ये साहब तो बिछड़ गए हैं अब आपके साथ है वैरी वैरी होट.......!!!!!!!!! भगवान् के लिए ऐसे ही गीत बजाएं जो आपके माहौल को सूट करें। अच्छे संगीत के मर्म की समझ जो आकाशवाणी के उदघोषकों को थी उसका तो अब एकदम अकाल है। ग़ालिब का शेर याद आ रहा है ....
"अब है इस मामूर में कहते-गम-ऐ-उल्फत असद,
हमने माना के रहे दिल्ली में पर खाएँगे क्या?"

12 comments:

manu said...

इस पोस्ट से अपना ब्लॉग शुरू किया था....
शायद यही दिन थे....

पता नहीं आज क्या सोच कर ये पोस्ट दोबारा डाल रहा हूँ....

कोई जरूरत भी नहीं है, कोई वजह भी नहीं है,,,
कुछ कहना भी नहीं है,,,

और ज्यादा दिन भी नहीं हुए हैं अभी तो ,,पिछली पोस्ट डाले..

पर दिल कर रहा है बस,,,,,,!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Ria Sharma said...

यानी ब्लॉग को एक वर्ष हो गया हैं मनु जी....??
चलिए बधाई फिर...अब MF को सराहें व FM बजाएं !!

स्वप्न मञ्जूषा said...

आपकी बात समझने के लिए तो कोर्स लेना होगा मनु जी...
अगर ब्लॉग शुरू किये एक साल हो गया है तो ह्रदय से आपको बधाई....!!
और जहाँ तक रचना की बात है ....तो वो तो हम पढ़ चुके हैं न....MF /FM कुछ नया लिखिए अब ...बहुत दिन हो गए हैं...
धन्यवाद.....

दिगम्बर नासवा said...

एक वर्ष पूरा होने पर बधाई ........ आपकी ये पोस्ट आज भी उतनी ही सार्थक है जितनी एक वर्ष पहले ....... ये हाल हमारे दुबई के ऍफ़ ऍम का भी है ......... और एम् ऍफ़ तो आजकल रहते ही दुबई में हैं ..........

हरकीरत ' हीर' said...

बहुत -बहुत बधाई मनु जी ....कुछ मिठाई-विठाई हो जाये ......???

मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा कब बीत गया वर्ष .....!!

पहली पोस्ट का अपना एक रोमांच होता है फिर वो जैसी भी भी हो ....अच्छा लगा पहली पोस्ट देख कर ....!!

निर्मला कपिला said...

चलो हमने तो पहली बार ही पढी है पोस्ट ब्लोग की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई मगर आज तो आपकी गज़ल होनी चाहिये थी इन्तज़ार है शुभकामनायें आशीर्वाद्

गौतम राजऋषि said...

अरे, आप हमारे बाद आये हैं यानि कि ब्लौग-जगत में? अब सोचता हूं तो उलझ सा गया हूं कि हम करीब कब आये? ’नज़्म उलझी है’ से या हिंदी-युग्म से?

खैर, एम एफ़ के तो हम भी थोड़े-बहुत मुरीद हैं। लेकिन इस एफ़ एम की सही चर्चा उठायी आपने। मुझे तो खैर अब उतना फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब देहरादुन में था तो जब तब इस कथित "मूड-स्विंग" से पाला पड़ता था।

हमें तो मनु जी की नयी ग़ज़ल सुननी है जल्द-से-जल्द!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आपको बहुत पढ़ा पर यह पहले नहीं पढ़ा था
हर मंजिल पर पहले कदम की याद ताजा हो इससे अच्छा क्या हो सकता है
बधाई।

Anonymous said...

आपका ब्लॉग देखा ...
सुन्दर रचना ........
कृपया मानवता को समर्पित मेरी कविताओं का आनंद लेने के लिए निम्नांकित लिंक को क्लिक कीजिये :
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Arvind Mishra said...

रोचक चिंतन

Urmi said...

मनु जी बहुत दिनों के बाद आपका बढ़िया पोस्ट पढ़ने को मिला! आपके ब्लॉग का एक वर्ष पूरा होने पर हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

aap ki post ne man ki baat kah di....ek saal poore karne par badhai...