पिछले साल हिंद युग्म पर एक छोटी सी कहानी जैसी छपी थी...
फिलहाल वही डाल रहा हूँ....
काफी दिन से कुछ नहीं पोस्ट हुआ ना...?
पर मैं समय की नजाकत को समझते हुए उस पागल की ओर लपका और साथ हो लिया | हाँ! अब ठीक है | उसका उघड़ा तन मुझे शेषनाग की तरह सुरक्षित छाया प्रदान कर रहा है | मैं पूर्णतः आश्वस्त हूँ | हाँ! इतना नंगा आदमी कम से कम मानव बम तो नहीं हो सकता......|
Darpan Sah 'Darshan' Said...
Dhyaan seDekho di....
Kiska Comment Pehla hai?
14 comments:
mera comment pahla hai Darpan Bachwa...
मनु जी,
'इतना नंगा आदमी कभी मानव बम तो नहीं हो सकता'...
एक विरोधाभास नज़र आया है.....जो भूखे-नंगे हैं उन्हें ही तो मानव बम बनना पड़ता है ....और बनेगा भी कौन ??
लेकिन आलेख अच्छा.....और विचार उम्दा...
सही मे लघु कथा। कुछ शब्दों मे समाज के चेहरे का इतना बडा सच ।लघु कथा मे जो प्रभाव -एकोन्मुखता चाहिये होती है वो पूरी कहानी मे बनी रही। एक संवेदना समयानुसार कितने रूप बदलती है। सुन्दर कहानी के लिये बधाई । आपकी बहुर्मुखी प्रतिभा धीरे धीरे सामने आ रही है । दीपावली की शुभकामनाये़ आशीर्वाद्
उसका उघडा तन मुझे शेषनाग की तरह सुरक्षित छाया प्रदान कर रहा है ......हाँ इतना नंगा आदमी कम से कम मानव बम तो नहीं हो सकता ........
मनु जी ....इतनी गहरी बात इतने कम शब्दों में ......????
कमाल........!!
लाजवाब.....!!
सलाम .....!!
Dipawali ki dheron shubkamnayen.
hawa se bhi darne lage hai log jidher dekhe khidhki band hai.....
बहुत सुंदर लिखा है आपने ! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
चलिये, इस सशक्त लघु-कथा के बहाने "मनु-उवाच" का सिलसिला आगे तो बढ़ा...
कथा तो परसों ही पढ़ लिया था, कुछ कहने फिर से पढ़ने के बाद अभी आया हूँ।
मनु जी का ये नया अवतार दिलचस्प लगा। लघु-कथा की कसौटी पर पूरी तरह उतरती ये कहानी, कम बात, बरकरार रोचकता और ठीक बिंदु पे प्रहार करती हुई छोटी कहानी...
"अति सभ्य भीड़" का कटाक्ष बहुत पैना है।
"उघड़े तन द्वारा शेषनाग की तरह सुरक्षित छाया" वाला जुमला मिथक को सामयिक बनाने की अनूठी कला को दर्शाता है...बहुत खूब मनु जी!
...और फिर आखिरी का वो पंच लाइन, जो वाकई माइक टायसन के शक्तिशाली पंच से कुछ कम नहीं!
समय की नजाकत आपने बखूबी भापी, भयंकर भीड़ के धक्के खाने से जहाँ बचे वहीँ मानव बम की अनहोनी का भी कोई डर नहीं............
लघु कथा बहुत गहन सन्देश दे गई.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
Yes Jain, bum nahi ho sakta??
'इतना नंगा आदमी कभी मानव बम तो नहीं हो सकता'...
kam shabdon mein kahi gahri baat
aap kahani bhi likhte hain aaj pata chala
मनु जी
बहुत दिनों बाद ...??
मैंने शुरू में ही कहा था ना आपकी इक कहानी हिंद युग्म पर पढ़कर..की आप मानवी संवेदनाओं को अति गहराई से पकड लेतें हैं....
समाज पर व्यंग और निश्चलता को उजागर करती कहानी
शानदार रही !!
bhaiya wife is looking like a nice old film actress.
looking like a madhu bala, ye story kafi interesting thi.
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