आख़िर शाम को मैंने अपना वोट दे ही दिया.....एक स्याही आज अपनी भी ऊंगलियों को छू गयी............................
मेरे वाला आए ...तेरे वाला आए .......................................................................................................
पर ऐसा कोई ना आए .....जैसे के आते रहे है...................
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पर ऐसा कोई ना आए .....जैसे के आते रहे है...................हमारी भावनाओं से खेलने वाले।ग़रीबों के मुँह का नीवाला छीननेवाले,
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