बे-तख़ल्लुस

My photo
'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

manu

Wednesday, November 26, 2008

""ये ज़मीं, चुकने ही वाली है पर मेरे हमदम...कोंपलें और भी फूटेंगी इन ख़लाओं से.....!!""

2 comments:

daanish said...

---achha tsavvur hai, ummeed hr tarah se khauf pr haavi hi honi chahiye...aapke khyalaat ki zameen mei phoot rahi komplein sayadaar drakht bn kr manzar.e.aam pr aayein....yahee duaa hai.
---MUFLIS---

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

बहुत खूब प्रस्तुति.


आख़िरी पत्ते ने बेशक चूम ली आख़िर ज़मीन
पर लड़ा वो शान से पागल हवाओं के ख़िलाफ .