चन्दों से बने घर में बसाने के वास्ते,
इनसान के दिल से तुझे निकाल रहे हैं,
मासूम हैं बहोत तेरे पाले हुए बन्दे
हैं ज़हर नाक वो जो तुझे पाल रहे हैं
ये और ही जहान के मज़हब के लोग हैं
जो तेरे मेरे बीच दरर डाल रहे हैं
वादे वफ़ा से उनका कोई वास्ता नहीं
वादे मगर ज़बां पे बहरहाल रहे हैं
धरती से गिला हमको न अम्बर से शिकायत
जिस हाल में रहे हों, खुश खयाल रहे हैं
जिनसे गुज़र के पहुंचा हूँ मैं चांदनी के देस
वो रास्ते अंधेरों से पामाल रहे हैं....||
7 comments:
तुम आये तो आया मुझे याद....
अब इतने दिनों बाद आते हैं आप और "धरती से गिला हमको न अम्बर से शिकायत / जिस हाल में रहे हों, खुश खयाल रहे हैं" कह कर जान निकालते हैं। ठीक नहीं है ये.
हिंदी-युग्म पर गया था,जाने वहां का टिप्पणी वाला बक्सा खुल न पाया मेरे कम्प्यूटर पर.आलेख को बचा कर रख लिया है फिर से पढ़ने.
"हर शेर तसव्वर के मज़ामीन लिए है ,
हम सब भी मुहोब्बत से नज़र डाल रहे हैं"
हुज़ूर ! बड़ी देर के बाद आए ...
लेकिन खुशी है कि सेहत्याब हो कर
हम सब के लिए ग़ज़ल की शक्ल में ये नायाब तोहफा ले कर आए हैं ....
एक अच्छी और पुर-असर ग़ज़ल कहने पर मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ...!!
---मुफलिस---
मुफलिस जी,गौतम जी ,तशरीफ़ लाने का शुक्रिया ...ये तो तीन महीने पुरानी है ...नए साल में तो बस नयी नयी टेंशनें ही आ रही है......बेटे ने पोस्ट की है बहुत दिनों से खाली ब्लॉग देख कर...अपने अंकल और आंटी लोगों के लिए....
चन्दों से बने घरमें बसाने के वास्ते
इंसान के दिल से तुझे निकाल रहे हैं...
wah ji wah....!bere ko bhai itani acchi post k liye....!
हुज़ूर ! कुछ बिखरे पड़े से अल्फाज़
आपकी पारखी नज़रों की राह तक रहे हैं
इनायत फरमाएं ..........
---मुफलिस---
manu ji Rajnish Here. Thx for ur Comments. Actually yah Ghazal Muflis Sahib ki likhi Ghazal ki Behar " Phaley Phooley yah Karoobaar Pyare " par kuch likhne ki Koshish ki hai. Aap ki Ghazals ke liye bhi Mubarakbaad.
Post a Comment