बे-तख़ल्लुस

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'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

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Sunday, July 10, 2011


आज का दिन..या रात कहें तो...!
बड़ा फुर्सत का थी...या..बड़ी फुर्सत का था....

थोड़ा अब भी बचा/बची है..
आज खुद से ..एक बार फिर तसल्ली से रूबरू होने का दिन/शाम थी...और आज कई साल बाद एक कैनवास खरीदा था...खुद की मौजूदा तस्वीर उतारने के लिए...मौजूदा तस्वीर...खुद की...


.जो जाने कब से मौजूद थी...

स्टेशनरी वाले भाई ने भी पूछ ही लिया था...आज...इतने सालों बाद....!!
आप कैनवास खरीद रहे हैं..!!!!!
उसका सवाल ..बस...एक दुकानदार का सवाल लगा था उस वक़्त...सो एक ग्राहक सा ही जवाब..ह्म्म्म.,,हुंम में देकर सुलटा दिया था..कैनवास के दाम सुनते ही हम अपनी .. हम्म ..हुंम छोड़कर सीधे दुकानदार/ग्राहक वाली जबान पर उतर आये .. मगर कैनवास का दुकानदार शायद जन्मजात दुकानदार था.......


सो हम शायद कुछ न थे उसके आगे...

भले ही उसने जिंदगी भर कैनवास ना बेचे हों...पर था वो दुकानदार ही...बेशक..किसी ऐसे कैनवास का नहीं...जैसा/जैसे हम......पर वो था पक्का दुकां...( इससे ज़्यादा क्या कहें ..किसी को...? )

बहरहाल.....

ऑफिस में हमने कैनवास लाकर रख दिया ..शाम को जाते वक़्त ले जाने के लिए...और कोई बहुत ज़्यादा इंतज़ार भी नहीं किया था शाम का...जितना कि करना चाहिए था...शाम का....

हाँ,
कैनवास पर लिखा रेट जरूर दुबारा देखा था...दो सौ छतीस रुपये...और..और चवन्नी अट्ठन्नी जैसे... शायद कुछ गरीब पैसे भी..हों तो...हालांकि ये दाम ब्रेल में नहीं लिखा/खुदा हुआ था..फिर भी आँखों के साथ उँगलियों ने भी उसमें कुछ टटोला था...

वैसे ही जैसे ब्रेल को टटोला जाता है...

8 comments:

तपन शर्मा Tapan Sharma said...

मनु जी.. आप कम लिखते हैं.. पर जब लिखते हैं......
कैनवास पर आज के हिन्दुस्तान की तस्वीर मत उतारियेगा.. बेचारा नया नया खरीदा गया है.. गंदा हो गया तो बुरा मान जायेगा...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भावनाओं को ब्लॉग के कैनवास पर उतार दिया ...

daanish said...

तेरी सूरत से
नहीं मिलती
किसी की सूरत
हम जहां में
तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं ...!!

daanish said...

rangoN meiN
kuchh drops
royal stag ke mil jaaeiN
to
rang utar jaane ka darr
jata rehtaa hai
HAPPY 236/-

neelam said...

brail lipi .............
kai baar hum n chaahte hue bhi brail lipi me hi dekhne aur likhne lagte hain...........bhaav poorn
prastuti............chaliye ab intzaar hai aapke is canvas par banaayi gayi kriti ka .

नीरज गोस्वामी said...

मनु जी माना आप कम लिखते हैं लेकिन जब लिखते हैं कमाल लिखते हैं...लाजवाब कर दिया आपकी रचना ने...बधाई कबूल करें.,..



नीरज

हरकीरत ' हीर' said...

२३६ रूपए के कैनवास पे बनी अब आपकी आज की तस्वीर का भी इन्तजार है ......

वो भी उमा जी के साथ ......

अमिताभ श्रीवास्तव said...

हम्म्म्