जमा खोरो की नीती जेब पर भारी रही तो
जो खुद मिट जाने की हद तक खरीदारी रही तो
सवेरे शाम बस खिचड़ी ख्यालों की पकेगी
अगर फल से भी मंहगी अब के तरकारी रही तो
खुद अपनी शक्ल की पहचान मुश्किल हो रहेगी
उजालों की, अंधेरों से तरफदारी रही तो
वफ़ा की राह अगले वक़्त में वीरान होगी
वफादारी पे गर यूं ही ज़फा भारी रही तो
हलक से सच तुम्हीं बोलो, भला फूटेगा कैसे
अगर गर्दन पे ठहरी झूठ की आरी रही तो
गुजर बादाकाशों का बोल क्योंकर हो सकेगा..?
जो साक़ी की भी पीने में तलबगारी रही तो
सिनेमा में दिखेंगे भांड और सर्कस के जोकर
अदा के नाम पे ये ही अदाकारी रही तो
17 comments:
नीती.*....
नीति..
:)
"....Jhooth kee aaree rahee to"! Behtareen gazal kahee hai!!
ek bar aur salgirah mubarak ho
achchhee ghazal hai ,gautam ki zid ke liye use dhanyavad dena
वाह!! क्या बात है...
खुद अपनी शक्ल की पहचान मुश्किल हो रहेगी
उजालों की, अँधेरों से तरफदारी रही, तो
ग़ज़ल का हर शेर
आपके अन्दर खामोश बैठे हुए शायर से
रु.ब.रु करवा रहा है जनाब !
हमें भी लुत्फ़ मिलता ही रहेगा शायरी का
करम की यूँ कहीं बारिश यही, जारी रही तो
सवेरे शाम बस खिचड़ी ख्यालों की पकेगी
अगर फल से भी मंहगी अब के तरकारी रही तो
ये भी एक अलग ही अंदाज़ है आपका.
जिद जिसने भी की हो और एस.एम.एस.पर चर्चा जो भी हुई हो पर ...आपने अदभुत लिखा है ! बेहतरीन ...शानदार...बा-कमाल लेखन ! हमारी मुबारकबाद क़ुबूल फरमाइये !
बहुत खूब...शुभकामनायें !!
बहुत सुन्दर ग़ज़ल| धन्यवाद|
शुक्र है, हमारे ज़िद की लाज रख ली गयी और हमसब को इतनी नायब ग़ज़ल सुनने को मिली। जियो मनु साब...जियो!! दिल खुश कर दिया!!!
"गुजर बादाकाशों का बोल क्योंकर हो सकेगा..?जो साक़ी की भी पीने में तलबगारी रही तो"...ये हमारा हुआ सर जी!
अप्रैल में मिलेंगे तो एक साक़ी की व्यवस्था कर के रखा जाये पहले से, अभी से कहे देते हैं हम!!!
umda gazal.
खुद अपनी शक्ल की पहचान मुश्किल हो रहेगी
उजालों की, अंधेरों से तरफदारी रही तो
वफ़ा की राह अगले वक़्त में वीरान होगी
वफादारी पे गर यूं ही ज़फा भारी रही तो
UMDA !!
JAI HO MANUJI :))
खुद अपनी शक्ल की पहचान मुश्किल हो रहेगी
उजालों की, अंधेरों से तरफदारी रही तो
वफ़ा की राह अगले वक़्त में वीरान होगी
वफादारी पे गर यूं ही ज़फा भारी रही तो
बेहतरीन ग़ज़ल.....भाव पूर्ण और संवेदनापूर्ण भी !!
bahut khoob manu ji !!!!!
वाह क्या नया अंदाज़ है ....
बहुत अच्छी रचना बधाई
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