अभी परसों की ही बात है..एक फोन आया..
'फूफा जी, आप कहाँ हो..?'
हमने कहा बेटा काम बोलो...पर फिर वही सवाल...'आप हो कहाँ'
हमने दोबारा कहा...बेटा बात क्या है...?
'ख़ास नहीं, पर पहले ये बताओ कि आप कहाँ हो...?'
अब कहना ही पडा कि एक हफ्ते पहले एक्सीडेंट हो गया था, पाँव में फ्रेक्चर हुआ है...सो तब से घर पर ही हूँ,..अब पहले तो काम बोलो..और दूसरा ये सुन लो कि आप लोग हमारी खैर खबर लेने हरगिज नहीं आयेंगे... हम बखूबी जानते हैं कि तुम लोगों का घर से निकलना बेहद मुश्किल है इन दिनों और तुम ये फोर्मलिटी किये बिना मानोगे नहीं...
काफी कह सुन लेने के बाद हमें बताया गया कि फलां विषय पर कविता लिख कर देनी है..वो भी अभी...कुछ ही देर के अन्दर...!! विषय भी ऐसा जिससे कभी कोई वास्ता नहीं पडा...
अब हमारे इकलौते जमाने पर रखे पांव के भी नीचे से रही सही ज़मीं खिसक गयी...
यूं पहले भी हिंद युग्म पर दिए गये चित्र पर एक दो बार लिखा है..पर एक तो वहाँ एक महीने का समय दिया जाता है...ऊपर से कुछ लिखने का मूड ना भी हो तो कोई जबरदस्ती नहीं होती...
खैर...उन दस-बीस मिनट में जो भी लिखा गया..वही आपके सामने रखते हैं...
काफी वक़्त बाद कुछ नया है तो यही है बस....
............
...............
बाल-ह्रदय में पनपे कैसे जीवन का आधार..?
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार
बुढ़िया चरखा कैसे काते , कौन कहे अब चाँद की बातें
बच्चे सा ही बच्चा बनकर , कौन है इनका सुख-दुःख बांटे..?
व्यस्त पिता हैं बहुत उन्हें दिखता हरदम व्यौपार...
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार...
दादा-दादी भी फुर्सत में, पोता पोती भी फुर्सत में
वृद्धाश्रम में हैं ये तनहा,उधर अकेले हैं वो घर में
'लगे रहो मुन्ना भाई' से कुछ तो सीखो यार
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार.....
भौतिकता की ओढ़ के चादर, नैतिकता से मुंह मत मोड़ो
उन्नति की सीढ़ी चढ़ लो ,पर अपने बड़ों का हाथ न छोडो
आखिर वो ही सिखलाते सच्चाई, शिष्टाचार
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार.
बाल ह्रदय में पनपे कैसे जीवन का आधार..?
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार....
43 comments:
मनु जी, बाल गीत तो खैर अच्छा है, इसकी मुबारकबाद...
लेकिन पहले ये तो बताएं फ़्रेक्चर कैसे हुआ?
हाहा ये बच्चे :)
आपसे अपना काम निकाल ही लिये वैसे इनकी सेवा का आनंद ही अलग है !
भौतिकता की ओढ़ के चादर............शिष्टाचार
बहुत उम्दा बाल गीत ,वो सीख जिस की आज बच्चों को बहुत ज़रूरत है
इतने कम समय में ऐसा गीत ...........
बधाई स्वीकार करें और आप कम समय सीमा में ही लिखा करें ,अच्छा लिखते हैं
Bachhon ko dushwaar hua dada dadi ka pyar aur dada dadi ko dushwar hua apne bachhon aur pota poti dono ka pyar! Kis se aur kya kahen? Aapki rachna to aankhen nam kar gayi!
शाहिद साब..
आदाब अर्ज़ है....
साल भर से कुछ ज़्यादा ही बिजी हो गए थे...अपने सारे काम बाइक पर ऑफिस जाते हुए ही याद आते थे...
अरे...?.....हमारा ऐसा कमेन्ट भी छप गया.....!!!!!
ओह...? ....इतना सादा कमेन्ट भी नहीं छापा अब तक.......!
:(
काम की सैटिंग...
रात की चैटिंग...
बॉस के पचड़े...
बीवी के लफड़े..
स्कूल की फीस..
नज़्म की टीस...
....
........
..................
वो जो एक फिल्म में अशोक कुमार रेलगाड़ी चलते हैं ना...
यहाँ से वहाँ..वहाँ से यहाँ....
छुक छुक छुक छुक...
बीच वाले स्टेशन बोले..
रुक रुक रुक रुक....
:)
तो एक बीच वाले बिना सवारी के स्टेशन पर ब्रेक मार दिए थे....इतना सब सोचते सोचते स्पीड जाने कब हमारी जरूरत से काफी ज़्यादा हो गयी..
पता ही नहीं चला...
तो जब खड़े ब्रेक लगे... फिर हमें पता चला कि क्या हो चुका है.... ५-१० मिनट पड़े रहने के बाद एक बहुत ही भले आदमी ने सहारा देकर उठाया...ग्लूकोज का पानी पिलाया...बाइक उठाकर किनारे पर खड़ी की..और बोले ..बताओ बेटा...तुम्हें कहाँ छोड़ना है...और बाइक का क्या करना है....तब तक हम थोड़ा संभल चुके थे..अपने ऑफिस वाली टीम को फोन लगा दिया की सहायता भेज दो, और हमें उठवा कर मंगवा लो...
पर सही है..खाली पड़े पड़े सही टाइम पास होता है..
कि ये सब सही हुआ..या सही नहीं हुआ....
सही हुआ का ही पलड़ा भारी होता है अक्सर....
अब भला हमें पता कैसे चले? चल भी जाये तो कर क्या सकते हैं? सिवाय इसके कि हम ईश्वर को लाख लाख धन्यवाद दे दें.कि उसने ज्यादा बडा कुछ होने से बचाया।
सच बतायें, बच्चे ने गम्भीरता से पढी होगी रचना तो उसके लिये अच्छा है क्योंकि यह सिर्फ रचना नहीं है बल्कि उसके भविष्य के लिये बहुत कुछ है।
बाल रचना??? आपने बच्चे को देने के लिये लिखी भले ही हो किंतु इसे मैं बाल रचना भी नहीं मानता क्योंकि यह बहुत परिपक्व रचना है। एक यथार्थ।
अपना ध्यान रखें। शीघ्र स्वस्थ हों।
प्रियवर मनु जी
बहुत अच्छा बाल गीत लिखा है , बधाई !
बच्चों का आग्रह हमारे श्रेष्ठ सृजन का निमित्त बनता है कई बार ।
दादा-दादी भी फुर्सत में,
पोता पोती भी फुर्सत में
वृद्धाश्रम में हैं ये तनहा,
उधर अकेले हैं वो घर में
'लगे रहो मुन्ना भाई' से कुछ तो सीखो यार
ख़ूबसूरत और विचारणीय बंद बना है …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अब तबीयत कैसी है यार ?
आगे से सड़क पर …
और , सर्वत्र सावधानी रखा करो , प्लीज़ !
भगवान से आपके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना है ।
चिंता मत करना , जल्द अच्छे हो जाओगे भाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत अच्छा बाल गीत है बधाई !
मनु जी !!! अब आप कैसे हैं ? पढ़कर चिंता हुई कि आप को फ्रैक्चर हुआ । अब बाइक पर सोचना-विचारना छोड़ ही दीजिए ।
यह रचना तो बहुत ही मधुर लगी ...अन्य रचनाओं से बिल्कुल जुदा भी और धुन में रमी हुई भी ।
सुन्दर गीत के साथ, रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएं.
Bahut khoob. Very "CUTE" I must say!
RC
हूँ......न कोई फोन न msg ......?
कब हुआ .....?
कैसे हुआ ये तो पता चल गया ....
ज्यादा तो नहीं लगी ....?
अब डॉ की पूरी हिदायत माने.....पैर को ज्यादा तकलीफ न दें .....
दुआ है आपके लिए .....रब्ब इस मेहनतकश इंसान को जल्द आराम दे .....
और अब फटाफट ५,६ गजलें लिख डालिए ....!!
बाल-गीत ,,,
पूरे बाल-मन से ही लिखा गया है...
हाँ ! सन्देश ज़रूर बहुत बड़ा है,,, बिलकुल शिक्षाप्रद
और गेयता तो कमाल की रची है जनाब
"बुढ़िया चरखा कैसे काते
कौन करे अब चाँद की बातें .."
वाह
बिना कोशिश किये,,,, बिना ज़ोर डाले,,,
तो आप बहुत बढ़िया लिख लेते हैं ....
और अब फुर्सत भी है ....
हरकीरत जी का कहा मान ही लीजिये
फायदा तो हमारा ही है...
अच्छी-अच्छी गज़लें पढने को मिलेंगी
और.....
पाँव जब भी इधर-उधर रखना !!!! (:
भौतिकता की ओढ़ के चादर, नैतिकता से मुंह मत मोड़ो उन्नति की सीढ़ी चढ़ लो ,पर अपने बड़ों का हाथ न छोडो आखिर वो ही सिखलाते सच्चाई, शिष्टाचार
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार.बाल ह्रदय में पनपे कैसे जीवन का आधार..?
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार....
....Pariwarik vikhandan aur aapsi kereebon rishoton kee duriyan ke beech apno ka apnapan kam hona bahut badi bidambana banti jaa rahi hai..
bahut achhi prastuti.. dhanyavaad
भौतिकता की ओढ़ के चादर .....
वाली लाइन सबसे अच्छी लगी
और पूरी कविता भी अच्छी है
बच्चों को सच में दादा दादी का प्यार दुश्वार हो गया है
वैसे एक बात और है .........
अब इनके नए इलेक्ट्रोनिक दादा दादी आ गए हैं न टी वी , इन्टरनेट, कहो जिस तरह की कहानी सुना दे इनको ... हा हा हा
अब क्यों चाँद की कहानी सुनेंगे ये
.
सुदर कविता लिखी आपने, आपके भतीजे का आभार जिसके कारण ये कविता पढने को मिली।
.
भतीजा ही बधाई के पात्र हैं - जिहोने मनु को कविता लिखने के लिए प्रेणना दी.
manu bhai,
deri se aane ke liye maafi chahunga..
is accident ke baare me to pata hi nahi chala ... waise mera bhi haath ka accident ho gaya tha .
khair.. sambhal kar rahiye ..
ye baal rachna bahut pasand aayi ...
badhayi
vijay
badhayiii...ofcourse baal geet ke liye MANUJI...HAHA
Chaliye Get well soon bhee .
बिलकुल सच और सही लिखा है.किन्तु ........बच्चों की अपनी मजबूरियां हैं उन्हें 'जॉब' के कारण घर परिवार से दूर रहना पड़ता और.....फिर अकेले रहने की ऐसी आदत पड जाती है उन्हें कि...
शायद आने वाले समय में तुम्हे हमे भी यही सब फेस करना पड़े.वैसे इस मामले में मैं और मेरे तीनो बच्चे बहुत लक्की रहे हमे अपने दादा दादी,नाना-नानी सबका खूब प्यार मिला.मेरे बच्चों को तो मेरे जेठ जिठानी ने ही बड़ा किया.सुबह उन्हें अपने कमरे से निकाल कर अपन तो वापस मस्त हो कर सो जाते थे.
बच्चे दादा-दादी,बड़े पापा मम्मी की रजाई मे दुबक जाते थे,उनके मुँह मे अंगुली डालते थे यानी 'कुछ गाओ,कुछ सुनाओ'
फिलहाल ये सुख मेरे पोते ले तो रहे हैं,कब तक . नही मालूम. बाबा! कविता क्या लिखते हो,दुष्ट ठहरे पानी मे चट्टान फैंक मरते हो. हा हा हा
बच्चों को दुश्वार हुआ दादा-दादी का प्यार..... बहुत दर्द है इस रचना में. नसीहतें भी हैं.
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए मेरी प्रार्थना है.
पहले तो ये चोट वाली खबर...आपसे बात करके तनिक तसल्ली हुई। ब्लौग का टेम्पलेट बदलने की वजह से इस नये पोस्ट का पता ही नहीं चला और अब खुद को दुत्कार रहा हूं कि आप इतने दिनों से कष्ट में बिस्तर पर हैं और हमें आज खबर मिल रही है।
चलिये इतना तो भरोसा है आप पर कि आपने सब कुछ सही-सही बताया और दर्द अब ज्यादा नहीं है। आइंदे से मोड़ पर ध्यान से ड्राइव करें...और बाकि क्लास आपकी जल्द ही मिलने पर लूंगा।
भतीजे की बदौलत एक बेहतरीन बाल कविता सुनने को मिली। उसे ढ़ेर सारा प्यारा....
...और अपना ख्याल रखिये। उधर उस प्लास्टर पर प्यार की थपकियाँ...
:)
फ्रेक्चर
पहले ये तो बताइए कि क्या हुआ..? कैसे हुआ..? अब कैसे हैं..??
जैसे आम जन को सुख के पल किस्मत से नसीब होते हैं हैं वैसे ही कवियों को दुःख के पल।
..एक पोस्ट तो फ्रैक्चर पर ही होनी चाहिए थी।
..सुंदर, अर्थपूर्ण बालगीत के लिए बधाई.
भौतिकता की ओढ़ के चादर
bahut achchi seekh......
aasha hai ab aap theek hain
अच्छी अभिव्यक्ति...
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
काम की सैटिंग...
रात की चैटिंग...
बॉस के पचड़े...
बीवी के लफड़े..
स्कूल की फीस..
नज़्म की टीस...
हरकीरत जी संभल जाईये आप भी हैं लपेटे में नज्म की टीस तो आपकी ही है ,पर एक बात समझ में नहीं आई ,ये मनु जी( बाल) -कलाकार कब से हो गए .टोपी लगानी छोड़ दी है क्या .............
कुल मिलाकर कविता अच्छी है ,,न केवल आपके भतीजे के लिए बर्न सभी बाल -गोपालों के लिए भी
जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ आपके व् आपके पूरे परिवार को भी ..
हे भगवन पोस्ट से ज्यादा व्यथा तो टिप्पणियों में है.बाल गीत अच्छा लगा सेहत का ध्यान रखें
भाई वाह, अच्छी कविता है ......
भगवान से आपके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना है ।
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
sach kaha aapne manu jee, ab kahan bachcho ko dada dadi ka pyar mil pata hai...........!1
achchhi rachna!!
sach kaha aapne manu jee, ab kahan bachcho ko dada dadi ka pyar mil pata hai...........!1
achchhi rachna!!
dubaara padhi kavita, aur bhi jyada achhi lagi.
ek baat bataiye, bhateeje ne 'thank you phupha ji ' wala card bheja ki nahi?
.
जील साहिबा,
ये करम हमसे करवाया भतीजे कि पत्नी ने..किसी स्कूल में टीचर है वो..तो किसी कम्पीटीशन के लिए चाहिए था उसे...कुछ दिन बाद फोन आया था कि उनके स्कूल को एवार्ड मिला है इस काम्पिटिशन में...
बड़ी ख़ुशी हुई थी ये जानकर...
मनु जी ,
जब से आपके एक्सीडेंट के बारे में जाना..सोच-सोचकर बहुत बुरा लग रहा है..भगवान से प्रार्थना है कि आप जल्दी से ठीक होकर चलने-फिरने लगें.
और अभी आपकी बाल-कविता पढ़ी जो बहुत अच्छी लगी...जमाना हो गया आपकी गजलें पढ़े हुये..कहाँ हैं वो ? आल द बेस्ट. टेक केयर.
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