एक बे-मतला गजल ...
जब एक दफा बेगम साहिबा अपने बताये गए समय से कुछ ज्यादा ही रुक गयीं थी मायके में... तब हुयी थी ये....
आज इसे ही पढें आप ....
ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होती
के जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है
तेरे जलवों से रौशन हो रहे शामो-सहर मेरे
तू जलवागर कहीं भी हो तू दिल के पास होता है
चटखते हैं तस्सवुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है
निगाहों से नहीं होता जुदा वो सादा पैराहन
हर इक पल हर घड़ी बलखाता दामन पास होता है
विसाले-यार हो ख़्वाबों में चाहे हो हकीकत में
तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है.
नहीं इक बावफा तू ही, तेरे इस हमनवा को भी
वफ़ा की फ़िक्र होती है, वफ़ा का पास होता है
21 comments:
बधाई स्वीकार कीजिए। मुंह फिर कभी मीठा कर लेंगे।
Shadik ki saalgirah bahut,bahut mubarak ho!
Aapki hamsafar ko is gazal ka tohfa zaroor khoob nayab laga hoga!
Vaivahik varshgaanth ki bahut bahut badhai aur shubhkaamnayein..!!!
चटखते हैं तसव्वुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूँ एहसास होता है
मनु भाई शादी की वर्षगांठ की ढेरों बधाईयाँ...ये कुर्बत का एहसास ता उम्र यूँ ही बना रहे...आमीन...
नीरज
ये एहल-ए-दिल की महफ़िल है,
कभी वीराँ नहीं होती
कि जिस दम तू नहीं होता,
तेरा एहसास होता है
और यही तो है
इस एहसास की शिद्दत का जादू ....
किस -किस तरह के
अनमोल शेर कह गए हैं आप
और ....
"आवाज़ के गुंचों का चटखना ....."
शेर को बेहद क़ीमती बना गया है ...वाह-वा !!
हुज़ूर.....
शादी की साल-गिरह बहुत बहुत मुबारक हो
मिठाई तो नहीं....
उमा जी के हाथ की बनी चाय ज़रूर पियूंगा ...
वहीं..रसोई के सामने वाली कुर्सी पर बैठ कर ही.
सभी ब्लोगर्स को साथ लेते हुए
भगवान् जी से प्रार्थना करता हूँ
आप दोनों हमेशा हमेशा खुश रहे .... अस्तु .
और तोहफा वोही.....
"कभी सरगम, कभी वो रेशमी एहसास होता है ,
तुम्हारी याद में गुज़रा हर इक पल ख़ास होता है "
आदाब हुज़ूर ,
शादी की सालगिरह की बहुत बहुत मुबारकां और ढेरो बधाई ,
भाभी जी को भी सलाम कहें, अब तबियत कैसी है उनकी , इस ग़ज़ल का
हर शे'र कमाल का है ! विसाल-ए-यार हो या / नहीं एक बावफा तू ही ...
हर शे'र अपने नाज़ुकी के साथ है वो लम्हा कैसा होगा जब आपने ये ग़ज़ल कही ...
फिर से दिल से करोडो करोडो बधाईयाँ
अर्श
vivaah ki saalgirah... badhaai sveekar kijiye manuji../ ye din mere liye bhi khaas he..aur isaki vajah he yahi din mere poojya maataji-pitaaji ke shadi ka din he..aour mere agraj bhaai-bhaabhi ke bhi shaadi ka din..../ ab aapki shadi ka din bhi..yaani mere liye kuchh khaas honaa hi he../ ishavr aapko svasth-prasanna rakhe..taa umra/
बधाई । मिठाई किस पते पर भेज देँ ।
अनुभव ही ऐसा था कि लेखनी ऐसी जबरदस्त रचना करवा दे !
खूब भायीं ये लाईनें -
"विसाले-यार हो ख़्वाबों में चाहे हो हकीकत में
तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है."
बधाई !
देर से ही सही शादी की सालगिरह पर बधाई स्वीकार करें। गज़ल तोापकी हमेशा ही लाजवाब होती है मगर इस गज़ल मे कुछ खास है।
चटखते हैं तसव्वुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूँ एहसास होता है
ये प्यार और साथ हमेशा बना रहे बहुत बहुत आशीर्वाद
Manuji ..bahut badhayiyan hai ji....:)))yun hee safar chalta rahe hanstey muskurate !!
ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होती
के जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है
gazab !!
प्रिय बंधु मनुजी ,
नमस्कार !
विलंब तो हो गया … शादी की साल गिरह पर बधाई स्वीकार करें !
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखी है , बधाई !
सारे शे'र प्यारे और मुकम्मल हैं
तेरे जलवों से रौशन हो रहे शामो-सहर मेरे
तू जलवागर कहीं भी हो तू दिल के पास होता है
क्या बात है जनाब !
निगाहों से नहीं होता जुदा वो सादा पैराहन
हर इक पल हर घड़ी बलखाता दामन पास होता है
मज़ा आ गया बंधु !
ऐसे ही जज़्बात इसी बह्र में पढ़ने के लिए आज ही मेरे यहां शस्वरं पर पधारें , कल तक पोस्ट बदल सकती है इसलिए ।
एक बार फिर से बधाइयां !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
चटकते हैं तसव्वुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुरबत का यूं अहसास होता है...
मनु जी...ये शेर जल्दी भूलने वाला नहीं है.
nice post...
रचना बहुत सुन्दर है !
देर से ही सही शादी की सालगिरह के लिए बधाई !
sunder likhaa hai..
देर हुई आने में..शादी की सालगिरह की ढेर सारी बधाईयां. बहुत सुंदर गज़ल बन पड़ी है जुदाई में..
यह शेर तो बेहद उम्दा है ...
चटखते हैं तस्सवुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है
...बधाई.
waah kya baat hai manu ji..
Aapki gazlon ki saari bareekiyan ek taraf aur khayalon ki maasumiyat ek taraf.. Brilliant.. Bahut pyaari gazal kahi.
ओहो ये दिन कैसे चूक गया मुझसे। चायवाली से करबद्ध माफी। वैसे ये दिन मेरी जिंदगी का भी एक खास दिन है, इसलिये अब कभी नहीं भूलूंगा इस दिन को कि ये आपके साथ भी जुड़ा हुआ है।
बाकि इस ग़ज़ल के शेर तो जाने कितनी बार पहले ही पढ़-सुन चुके हैं। कुछ ग़ज़लें बेमतला ही खूबसूरत लगती हैं।
विलंब से ही सही, किंतु आपदोनों को ढ़ेरों मुबारकबाद। ये जोड़ी यूं ही सलामत रहे जनम जनम तक...
ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होती
के जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है
pahle sher ke liye kahunga...ki
tum mere paas hote ho goya
jab koi doosra nahi hota
चटखते हैं तस्सवुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है
nayaab sher manu ji ....lazawaab
बधाईयाँ जी बधाईयाँ..... विशेषकर भाभी जी को :)
और ग़ज़ल की क्या बात कहें.. आप जो भी लिखते हैं, दिल को छू जाता है... अंतिम शेर तो कमाल का है जी...
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