शामे-तन्हाई में क्या-क्या कहर बरपाता है दिल
क्या-क्या कह जाता है जब कहने पे आ जाता है दिल
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
चुगलियाँ रंगीन प्याले की, सुराही के गिले
दोनों की सुनता है और दोनों को समझाता है दिल
चुप लगाकर धड़कनें और गुनगुना कर खामुशी
सुनती हैं तकरीरे-उल्फत, और फरमाता है दिल
खुश ख्यालों से घनेरी चांदनी की जुल्फ को
आप उलझा हो वले, पर हंस के सुलझाता है दिल
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
24 comments:
पहली लाईन गलत प्रिंट हो गयी है...
:)
क्या-न-क्या कह जाता है जब कहने पे आता है दिल...
pahlaa comment..
syanpanti nahi chelegi.....
nahi chelegi ! nahi chalegi !!
pehla comment delete karo !!
delete karo ! delete karo !!!
main first hoon....
:)
syanpanti nahi chelegi.....
nahi chelegi ! nahi chalegi !!
pehla comment delete karo !!
delete karo ! delete karo !!!
main first hoon....
:)
aapki taarif main comment to nahi karoonga par ek dohra doonga jo pasand 'nahi' aaiya
चुप लगाकर धड़कनें और गुनगुना कर खामुशीसुनती हैं तकरीरे-उल्फत, और फरमाता है दिल
(aap jaante hain ki ye kyun pasand nahi aaiya....)
nahi ?
to chaliye bata deta hoon....
mujhe anand movie bilkul bhi pasand nahi (par meri favourite hai...) kyunki jitni baar dekhta hoon ro padta hoon....
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
इतनी अच्छी शायरी कैसे कर लेते हैं आप ???
इस नायाब गजल को पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां
जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
मक्ता तो बहुत ही जानदार लिखा आपने
हार्दिक बधाई
वीनस केसरी
padh liya hai....
dobara aata hu
muflis ji...
ye kyaa gazab kiyaa ji aapne...?
(क्या-न-क्या) की बजाए
"क्या-क्या" ही रहने दें
और ऐसे कर के देखें .....
"कहने पे आता है तो
क्या-क्या न कह जाता है दिल"
aur......
"किस तरह अच्छी ग़ज़ल कहते हो सब पूछें यही
सुन के सब की बात, मेरा भी धड़क जाता हैदिल"
हुज़ूर ....
ऐसी प्यारी-प्यारी ग़ज़लें लिखेंगे तो हम सब को नाज़ होगा ही ....
हर शेर दिल की गहराई से कहा गया है ...
जिंदगी के कुछ ख़ास लम्हात से दो-चार हो कर लिखा गया है
ये तोहफा मेरी तरफ से
"खेल किस्मत का,चलन दुनिया का, मर्ज़ी वक़्त की
बस यही sb सोच कर खुद ही संभल जाता है दिल"
---MUFLIS---
"अब न जाने
कौन हो जाये खफा किस बात पर
मसलेहत भी है ज़रूरी ,
ये भी समझाता है दिल"
....'मुफलिस' का सहारा 'दिल' ही तो है
फिक्र में डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक ग़ज़ल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
दर्द से रूबरू होकर ...शानदार नज़्म
लाजवाब लिखा है मनु जी.!!!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपने अय्यंत सुंदर और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है! इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ! बस यही कहूँगी कि आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
इस बेहतरीन ग़ज़ल की अब इससे बेहतर तारीफ़ और क्या हो बेतखल्लुस साब कि जब मुफ़लिस जी कह उठें "किस तरह अच्छी ग़ज़ल कहते हो सब पूछें यही/सुन के सब की बात, मेरा भी धड़क जाता है दिल"
इस मिस्रे पर "चुगलियाँ रंगीन प्याले की, सुराही के गिले" पर तो हम झूम उठे जनाब..अहा और शेर मुकम्मल होते ही मजाल है कि किसी के मुँह से ’वाह" न निकली हो..!!
एक शेर मेरी ओर से
’बेतखल्लुस’ जब कहे इस दिल के किस्से शेर में
खुद पे इठलाता है रहता और शरमाता है दिल
एक नायाब ग़ज़ल हुजूर...
bahut hi behatreen gazal saheb
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
जिन्दगी को और कभी (अंतिम लाइन में ) 'और' पर बार बार दिक्कत आई पढने में , फिर बाद में लगा ठीक है और में हो सकता है एक मात्रा ज्याद हो ,फिर बाद में पूरी गजल पढने में आगई
थोडी देर ठहर कर पढ़ लू .....................कमेंट्स की क्या ज़ल्दी हैं जी ,मैं पहली बार ब्लॉग पर आया हूँ और ठहर गया हूँ ..............अब ठैरे हुए पानी मैं .............
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
बहुत खूब
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
हां मेरी भूल याद दिलाने के लिये धन्यवाद,. स्वतंत्रता दिवस है( अगर अपना सामान्य ज्ञान इता खराब नहीं है तो....)
:)मनु जी सामान्य ज्ञान भी अब आप के सलाह के बाद सुधारने का प्रयास करूगां?
जब वो तेरे हैं तो फिर क्या दूरियां-नजदीकियां जिंदगी को और कभी यूं खुद को बहलाता है दिल
बहुत खूब
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
हां मेरी भूल याद दिलाने के लिये धन्यवाद,. स्वतंत्रता दिवस है( अगर अपना सामान्य ज्ञान इता खराब नहीं है तो....)
:)मनु जी सामान्य ज्ञान भी अब आप के सलाह के बाद सुधारने का प्रयास करूगां?
फिक्र में डूबे सफे .......................
वाह इस शेर पर मन झूम उठा
सुनती है तक़रीर ए उल्फत ..........
कमाल कहा है
आपकी ग़ज़ल हमेशा ही बहुत दिलफरेब होती है
AAPNE AAYANT SUNDAR GHAZAL LIKHA HAI...
AAP MERE BLOG MAIN BHI AAIYEN, NA BHI AAIYE TO BHI KOI NAHI TIPPANI ZARROR KAREIN BUS !!...
:)
मनु जी ये क्या गड़बड़ हो गयी .......??
मैं तो आपकी इस गजल पे कमेन्ट दे के गयी थी अब कहीं नज़र नहीं आ रही ....क्या आपने डी........??
फिक्र से डूबे सफे जब दर्द से हों रूबरू
इक गजल उम्मीद की हौले से लिख जाता है दिल
सुभानाल्लाह.........!!
चुगलियाँ ओल्ड मौंक की , रेड लेबल के गिले
दोनों की सुनता है और दोनों को समझता है दिल .....
वाह...वाह...क्या बात है मनु जी ...कैसे न समझे ....अभी अभी तो जश्न मना था दर्पण जी के घर ......!!
नयी ग़ज़ल देखने आया था, तो पुराने कमेन्ट देखने का लोभ हो आया..और हरकीरत जी के अंदाज़े-बयां ने हँसने पे विवश किया।
लेकिन ये रेड लेबल का रहस्य समझ में नहीं आया मनु जी?
mere lafj aapki kalam ki takat ko baya karne ke liye bahut nhi hai...esliye sirf etna hi kahunga ki aap sirf aise hi likhte jaiye...
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