बे-तख़ल्लुस

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'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

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Tuesday, June 2, 2009

दो जून....

आज दो जून है...हमारी शादी की साल गिरह..सवेरे ही याद आ गया था..साथ ही याद हो आयी एक बरसों पुरानी रचना.....
एक बे-मतला गजल ...
जब एक दफा बेगम साहिबा  अपने बताये गए समय से कुछ ज्यादा ही रुक गयीं थी मायके में... तब हुयी थी ये....
आज इसे ही पढें आप ....

ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होती
के जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है

तेरे जलवों से रौशन हो रहे शामो-सहर मेरे
तू जलवागर कहीं भी हो तू दिल के पास होता है

चटखते हैं तस्सवुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है

निगाहों से  नहीं होता जुदा वो सादा पैराहन 
हर  इक पल हर घड़ी बलखाता दामन पास होता है

विसाले-यार हो ख़्वाबों में चाहे हो हकीकत में
तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है.

नहीं इक बावफा तू ही, तेरे इस हमनवा को भी
वफ़ा की फ़िक्र होती है, वफ़ा का पास होता है

30 comments:

Shamikh Faraz said...

manu ji kya kaha jae aapke lafzon ke bare me. bahut hi khub. aur han happy anniversary to u.

नीरज गोस्वामी said...

मनु जी सबसे पहले तो शादी की वर्षगाँठ पर आप दोनों को ढेरो बधाईयाँ...इश्वर आप दोनों को हमेशा पास पास और खुश रक्खे... जुदाई में लिख्खी आप की रचना दिलचस्प है खास तौर पर...

विसाल ऐ-यार हो ख्वाबों में चाहे हो हकीकत में
तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है

बताईये ऐसे शेर को सुनने के बाद कौन आपसे दूर जाना चाहेगा...???? :)) हमेशां खुश रहें.

नीरज

daanish said...

हुज़ूर !!
सबसे पहले तो इस मुक़द्दस मौके पर
दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं ........
आप दोनों हमेशा खुश रहें....
और अपने पूरे परिवार में खुशियाँ बाँटते रहें .....

इस उत्सव में इतना भी नहीं डूब जाना कि
हमारी मिठाई भी याद न रहे ...

और....
ये आपके लिए ....

"कभी सरगम , कभी वो रेशमी एहसास होता है ,
तुम्हारी याद में गुज़रा हर इक पल ख़ास होता है "

---मुफलिस---

दिगम्बर नासवा said...

चटखते हैं तस्सवुर में तेरी आवाज़ के गुंचे
जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है

सबसे पहले मनु जी बधाई............फिर कुर्बान आपने इस अंदाज़ पर........... भाभी जान तो वारि हो गयीं होंगी आपकी इस अदा पर. लाजवाब शेर कहे हैं.....मोके पर फिट बैठते हैं........उम्मीद है ये कशिश आज भी बरकरार होगी और हमेशा रहेगी

"अर्श" said...

WAAH JI WAAH BAHOT BAHOT MUBAARAK WAAD IS RAUNAKE HAYAT MUKADDAS MAUKE EK LIYE... GAZAL BE BAHAR KABHI KABHI UTNI HI KHUSURAT LAGTI HAI JAISE KOI KAMSIN NAVYAUVANA BAALAA ITHLAA KE JHUM KE CHAL RAHI HO AUR USE APKE BESHKIMATI SHABAAB KA KUCHH ATAPATA NA HO...

KHUB BADHAAYEEYAAN....DIL SE..

ARSH

रश्मि प्रभा... said...

meri dher saari shubhkamnayen ....tohfa to aapne hi de diya

Urmi said...

शादी की साल गिरह पर आप दोनों को ढेर सारी बधाइयाँ! आज का दिन तो बहुत खास है और आपने शायद छुटी ली है! अच्छे से मनाइए आज का दिन और इस दिन को यादगार बनाइएगा!
माशाल्लाह क्या खूब ग़ज़ल लिखा है आपने! इतना ख़ूबसूरत और रोमांटिक ग़ज़ल है और मुझे इतना पसंद आया कि कहने के लिए अल्फाज़ नहीं है! दिल की गहराई से आपने ग़ज़ल को पेश किया है! बहुत बढ़िया!

sandhyagupta said...

Meri or se dher sari badhaiyan.

दर्पण साह said...

Dheeroon badhai meri , Ajay aur Madhur ki taraf se....


...Bhagwaan kare ki aap aur bhabhi kabhi zuda na hoon...

...lekin agar juda hone main aap itni acchi ghazal likhte hain to saal main ek do baar bhabhi ji ko maiyke jaane dijiyega...

:)


ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होती
के जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है
"do joon ki roti ke liye bhatkte hai sab
...aur apka '2 june' itna khaas hota hai...."

सीमा सचदेव said...

saalgirah kee shubhkaamnaayen aur us par aapaki gazal , jisame sach me aapke aantrik bhaav samaahit hue hai usake liye bahut bahut badhaaii
seema sachdev

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

भाई
बहुत बहुत बधाई
खूबसूरत रचना के लिए भी
और शादी की वर्षगाँठ पर भी.
अब तो ब्लॉग पर आता रहूँगा.
क्योंकि:

तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है

Divya Narmada said...

बहुत कम ही किसी से बिन मिले अहसास होता है
कि अनजाना भी कोई दिल के बिलकुल पास होता है

नरमदा नेह की जो भी नहाया, तर गया यारों.
खुदी को भूलने पर खुदा का अहसास होता है..

तकल्लुफ क्यों करें, किससे करें, कोई ये बतला दे
तखल्लुस 'बेतखल्लुस' का हमेशा खास होता है..

मिटा कर द्वैत को, अद्वैत के पथ पर चला चल तू.
'उमा' जिसको चुने- कंकर भी शंकर-रास होता है

वरण'मनु'का करे देवी भी, जग में मानवी बनकर.
मिली चंदा से निर्मल चाँदनी, आभास होता है.

सफल हो साधना स्नेहिल,'सलिल'कर जोड़कर वंदन
करे,कह-'हर दिवस तुमको विमल मधुमास होता है

न अंतर में तनिक अंतर, पढ़ा है कौन सा मंतर?
हमेशा इसमें उसका-उसमें इसका पास होता है..

गौतम राजऋषि said...

शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाईयां मनु जी..देखिये कितना कुछ कामन है हम में और आप में....

समस्त शुभकामनायें मनु जी, आपको और चायवाली को...

निर्मला कपिला said...

मनुज आपको शादी की सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई
शब्द चाहे मूक हैं
िअभिव्यक्ति अदृ्श्य है
मगर मन मे एक आस्था प्रबल है
ये एक दिन ही नहिं<
जीवन का हए पल उज्जवल है
बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद
गज़ल के लिये इतना ही कह सकती हूँ कि अद्भुत लाजवाब

Prakash Badal said...

भाई साहब आपको शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई! आपकी रचना कैसी लगी, इस पर तो बाद में प्रकाश डाला जा सकता है। आपके दीवाने तो हम है ही।

हरकीरत ' हीर' said...

मनु जी ,

माशाल्लाह ......! आपका सालगिरह मनाने का ये अनूठा अंदाज़ बहुत पसंद आया .....!!

गैरों के साथ तो सभी बाँट लेते हैं खुशियाँ अपनी
कभी अपनों के साथ बाँट के देख
स्वर्ग जमीं पे उतर आएगा ....

आपको ये स्वर्ग मुबारक ...!!

संजीव जी ne लाजवाब लिखा ....

तकल्लुफ क्यों करें, किससे करें, कोई ये बतला दे
तखल्लुस 'बेतखल्लुस' का हमेशा खास होता है..

मिटा कर द्वैत को, अद्वैत के पथ पर चला चल तू.
'उमा' जिसको चुने- कंकर भी शंकर-रास होता है

आज के दिन आपको ' उमा ' मुबारक ....!!

वीनस केसरी said...

मनु भाई,
शादी की सालगिरह की हार्दिक बधाई
आपकी गजल की भावनाओं को अभी हम ठीक से न समझ पाए
(अभी शादी का लड्डू नहीं खाया है :)

मगर कहन बहुत उम्दा है

विसाले-यार हो ख़्वाबों में चाहे हो हकीकत में
तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है

वाह क्या बात है
वीनस केसरी

गौतम राजऋषि said...

कल दिन बस आपदोनों के लिये था....आज ग़ज़ल के लिये आया हूँ।

पहला शेर इतना जबरदस्त है कि मतले का अभाव खलता ही नहीं।
और फिर "चतखते हैं तस्स्वुर में तेरी आवाज के गुंचे.." जो अटकती है निगाहें, तो बस हटने का नाम नहीं लेतीं। लाजवाब शेर!
और फिर इस "तेरे दीदार का लम्हा..." वाला तो बस सर चढ़ के बोल रहा है, मनु जी।

वैसे मतला तो मुफ़लिस जी ने दे ही दिया...एनिवर्सरी का गिफ़्ट !

बहुत सुंदर ग़ज़ल मनु जी- दिल से!
बाहर बारिश हो रही है। दिल्ली का हाल पता नहीं..रात के एक बजने जा रहे हैं...और आपकी इस ग़ज़ल को पढ़ कर अब निकलते हैं गश्‍त पर। ये शेर गुन्गुनाने को मिल गया है अपनी देहरादून वाली को याद करते हुये "चटखते हैं तसव्वुर में तेरी आवाज के गुंचे / जुदाई में तेरी कुर्बत का यूं अहसास होता है"

अमिताभ श्रीवास्तव said...

SAALGIRAH ki mubarakbaad//
der se hi sahi par durusti ke saath ki aaj me akelaa bandaa hoo aapko mubarakbaad dene ke liye//aour esa lag rahaa he ki meri shubhkamnaye vo upar bethaa ishvar na keval sun rahaa he balki us par amal bhi kar rahaa he///
aap dono ka jivan khush-haal gujre, gujrte jaaye....../////

gazal-
ये अहले दिल की महफ़िल है कभी वीरान नहीं होतीके जिस दम तू नहीं होता तेरा अहसास होता है..
isase behtar koi shohar apne begam ko kuchh nahi de sakta// kavita yaa gazal aatmaj hoti he, aour jo aatmaj yaani aatma se upaji hui he, use bhent dena sabse khoobsoorat upahaar he//
fir se aapko dil se badhaai, shubhkamnaye/

शोभना चौरे said...

निगाहों से नहीं होता जुदा वो सादा पैराहन हर इक पल हर घड़ी बलखाता दामन पास होता है
विसाले-यार हो ख़्वाबों में चाहे हो हकीकत मेंतेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है.
bhut khubsurat andaj
badhai

SUCHI BANSAL said...

test

Pritishi said...

Awesome, as usual.

Chatakte hain ...
Makta ..

Yah dono She'r bahut khoob. Dil se. Too good!

God bless
RC

neelam said...

manu ji ,
der se likhne ke liye aapse muaafi nahi maangugi wajah to aapko pata hi hai .kuch khaas mauke hote hain us lamhe ko hameshaa yaadgaar banaane ke liye aur aap is hunar me maahir hain .
likhte to aap achchaa hain hi ,par jo najraana aapne apni "maalkin "ko diya wo taarife kaabil hai .aakhir me itna hi kahenge walllllllllllah .
she'r par phir kabhi byaanbaaji hogi .
khuda haafij

vijay kumar sappatti said...

manu ji

deri se aane ke liye maafi chahunga , main tour par tha aur kuch aur bhi haalaat theek nahi the ..

khair....

pahle to dil se aapko main mubarakbaad doonga .. bhagwaan aap dono ko hamesha sukhi rakhe...

aur kya gazal likhi hai mere dost .. waah padhkar hi zehan me kai saare khyalaat tair gaye..

badhai ho bahdai..

[ waise bhai ,party kab de rahe ho ]

Pritishi said...

"Chatakte hain" ... aur makta .. donon She'r lajawaab !
Maza aa gaya!

God bless
RC

Pritishi said...

Oh, batana bhool gayi ! Aap soch rahe honge coment repeat kyon kiya?

Bus .. She'r yaad aaya, phir padhne chale aaye !!!!!!!

Ria Sharma said...

मनुजी बहुत बधाई सालगिरह की ...God bless you both .

सिटी से बाहर थी सो थोडा देर हुयी

विरह में ग़ज़ल शानदार लिखी है

तेरे दीदार का हर एक लम्हा ख़ास होता है

बहुत खूब !!!!

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई मनु जी,
ब्लॉग जगत पर करीब एक माह बाद वापसी हुई है सो आपकी वैवाहिक वर्षगांठ की जानकारी आज ही मिली.
देर से ही सही, पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं सदा आपके साथ हैं.

चन्द्र मोहन गुप्त

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

मनु जी,
शादी की वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई..
ठीक यही घटना मेरे साथ हुई थी तो मैनें नाराज़ होकर एक ग़ज़ल पत्र में लिख कर भेजी थी...[मेरे रोमांटिक रचनाएं वाले ब्लाग में पढे़-नाराज़गी भी है तुमसे]

स्वप्न मञ्जूषा said...

अब हम तो लेट हो गए ना 'शादी कि वर्षगाँठ' कि बधाई देने के लिए, लेकिन तारीख से क्या होता है, आप-दोनों बहुत बहुत खुश रहे यह दुआ तो हम कभी भी दे सकते हैं, बस आप कुबूल करें,

और ग़ज़ल !!!

उम्दा..

लाजवाब..

बेमिसाल...