बे-तख़ल्लुस

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'बेतख़ल्लुस' हूं मुझे कोई भी अपना लेगा

manu

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Wednesday, March 11, 2009

happy holi
असर दिखला रहा है खूब, मुझ पे गुलबदन मेरा,
उसी के रंग जैसा हो चला है, पैराहन मेरा
 
कोई मूरत कहीं देखी, वहीं सर झुक गया अपना
मुझे काफ़िर कहो बेशक, यही है पर चलन मेरा
 
हजारों बोझ हैं दिल पर, मेरे बेहिस गुनाहों के,
तेरे अहसां से लेकिन दब रहा है, तन-बदन मेरा
 
उस इक कूचे में मत देना बुलावे मेरी मय्यत के,
शहादत की वजह ज़ाहिर न कर डाले कफ़न मेरा
 
मैं इस आख़िर के मिसरे में, जरा रद्दो-बदल कर लूँ
ख़फा वो हो ना बैठे, खूब समझे है सुखन मेरा
 
मुझे हर गाम पर लूटा है, मेरे राहनुमाओं ने,
ज़रा देखूं के ढाए क्या सितम, अब राहजन मेरा
 
यहाँ शोहरत-परस्ती है, हुनर का अस्ल पैमाना
इन्हीं राहों पे शर्मिंदा रहा है, मुझसे फन मेरा
 
कभी आ जाए शायद हौसला  परबत से भिड़ने का,
जरा देखो सही तुम नाम रख कर कोहकन मेरा

17 comments:

"अर्श" said...

नमस्कार साहिब,
बहोत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही आपने..
एक बादशाह शाईर का ये कलाम याद आगया...

हम ही उनको बाम पे लाये ,और हामी महरूम रहे ...
पर्दा हमारे नाम से उठा ,आँख लड़ाई लोगों ने . ...

आपको होली की ढेरो शुभकामनाएं...

अर्श

Alpana Verma said...

bahut hi khubsurat gazal kahi aap ne ..kuchh shbd samjhne mein mushkil lagey..

kripya mushkil shbdon ke arth bhi saath de diya karen :)

=holi ki dher sari shubhkamnayen.

sandhyagupta said...

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

vijay kumar sappatti said...

manu , bhai , gazal to badi jhakaas likh di hai .. mujhme tareef karne ki himmat nahi ho rahi hai . lekin ye gulbadan kaun hai mere yaar..

kuhc bhi ho , kamaal likha hai . bahut meetha likha hai , har taraf dard ko padhte padhte main pagala gaya tha , phir ye gazal padhi , maza aa gaya ..

mere taraf se maitmaile paani ke do glass kabul kare..

ab poochonge yaar ki do kyon ? to yaar ek aapke liye aur ek aapki gulbadan [ agar koi hai to ] ke liye , [ agar nahi ahi to apne ustaad ke liye jo kismat se mere bhi ustaad hai ..

bahut si badhai ..
vijay

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

भई वाह्! क्या खूब लिखा है.....बहुत ही उम्दा गजल...
आज जब आपको ये कमैंटस दिया जा रहा है तो इस समय भाई मुफलिस जी भी यहां हमारे पास ही बैठे हैं. आप की बहुत तारीफ किया क‌रते थे तो सोचा कि चलें एक बार आपके ब्लाग के दर्शन कर ही लिए जाऎं........बधाई
खूब लिखें...उम्दा लिखें

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

jeeo Manu bhai

har sher Qaabil-e- taareef hai.

होली की ढेरो शुभकामनाएं..

हरकीरत ' हीर' said...

हर इक शेर छू रहा है दिल को यूँ गहरे तक
कहूँ क्या उफ्फ....बेलफ्ज़ हो गया है कमेंटभी मेरा .

.मनु जी,
कैसे लिख लेते हैं दिल को छू लेने वाले शेर...?

दिगम्बर नासवा said...

कोई मूरत कहीं देखी, वहीं सर झुक गया अपना
मुझे काफ़िर कहो बेशक, यही है पर चलन मेरा

हर शेर खूबसूरत , अलग ही बात कहता हुवा, जोरदार है
खिलते हुवे नगीने की तरह . .....
होली पर आपको और आपक परिवार को शुभ कामनाएं

Ria Sharma said...

कोई मूरत कहीं देखी, वहीं सर झुक गया अपना
मुझे काफ़िर कहो बेशक, यही है पर चलन मेरा

मनु जी
तारीफ़ मे शब्द सच में कम पड़ रहे हैं या कहें ..ढूंढे नहीं मिल रहे...
उम्दा ग़ज़ल
सादर !!!

गौतम राजऋषि said...

उफ़्फ़्फ़्फ़....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़
मनु जी ! ओहो, क्या कहूँ "मैं इस आख़िर के मिसरे में, जरा रद्दो-बदल कर लूँ/ख़फा वो हो ना बैठे, खूब समझे है सुखन मेरा" ....कहाँ से लाऊँ ये रंगत अपने तारिफ़ाना शब्दों में मनु जी।
हर शेर मनु जी हर शेर-- लाखों-करोड़ों जुबान से भी दाद दूं तो भी शायद दिल में उमड़ते श्रद्धा, प्रशंसा को व्यक्त न कर पाऊँ... किंतु खास इस शेर पर तो "जाए शायद हौसला परबत से भिड़ने का/जरा देखो सही तुम नाम रख कर कोहकन मेरा" आप पे सब कुछ निछावर।

मेरे अशआर की तारीफ़ कर मुझ को लुभाता तू
कहे जब तू ग़ज़ल, है माँगता पानी सुखन मेरा

दर्पण साह said...

kuch nahi kehna chahta.....
...kyunki jo bhi kuch kahoonga wo meri alpgyanta ko hi dikhega.....
.....
ye bhi nahi keh sakta"khoob likhein, accha likhein"

chaliye itna keh deta hoon:

:chahei khoob na likhein, accha na likhein, par aisa likhein jaisa likha hai.
waise to poori nazm hi acchi hai par meri favourite:
कोई मूरत कहीं देखी, वहीं सर झुक गया अपना
मुझे काफ़िर कहो बेशक, यही है पर चलन मेरा,
&
जाए शायद हौसला परबत से भिड़ने का,
जरा देखो सही तुम नाम रख कर कोहकन मेरा.

aur holi aur phagun main baurane ka bada chalan hai, kahein gadde main na gir padna.....

...eklaute to maun ji ho aap.....

daanish said...

"यहाँ शोहरत-परस्ती है, हुनर का अस्लपैमाना ,
इन्हीं राहों पे शर्मिंदा रहा है, मुझसे फन मेरा"

हुज़ूर ! जब ऐसे-ऐसे अच्छे और नायाब शेर कहोगे
तो हम कमेंट्स देने वाले बेचारे इतने अच्छे अल्फाज़ कहाँ से ढूँढ के लायेंगे भला ??

हर शेर आपके हुनर की तसदीक़ कर रहा है
आपका ग़ज़ल कहने का लहजा वैसे भी
ज़ाती तौर पर मुझे बहुत पसंद है.........
और ये बानगी तो ...क़त्ल .....

"खयालो-लफ्ज़ पुर-तरतीब हैं, उम्दा-बयानी भी
दुआएं दे रहा लाखों 'मनु' को आज mun मेरा "

मुबारकबाद . . . . . .
---मुफलिस---

BrijmohanShrivastava said...

खूबसूरत ग़ज़ल

sandeep sharma said...

kubsurat rachna hai...

padhkar bahut achchha laga...

Anonymous said...

hi......ur blog is full of good stuffs.it is a pleasure to go through ur blog...

by the way, which typing tool are u using for typing in Hindi...? recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad " do u use the same...?

heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?

expressing our views in our own mother tongue is a great feeling...save, protect,popularize and communicate in our own mother tongue...

try this, www.quillpad.in

Jai..HO....

manu said...

आपकी तारीफ़,,,,????????????
हिंदी में..........

या चलिए,,,,

रोमन में ही सही,,

Anonymous said...

मेरा हजारों बोझ हैं दिल पर, मेरे बेहिस गुनाहों के,तेरे अहसां से लेकिन दब रहा है, तन-बदन मेरा

'उस इक कूचे में मत देना बुलावे मेरी मय्यत के,शहादत की वजह ज़ाहिर न कर डाले कफ़न मेरा '

क्या बोलूं ? सोचती हूँ किसी 'पार्टी' में गा कर सबको सुनाऊँ.
कितने टेलेंटेड लोग है हमारे मुल्क में परजाने कहाँ छुपे रह जाते है .जैसे आप.
बहुत अच्छा लिखते हो. एक पाक दिल से सीधे निकले एक एक हर्फ,सीधे दिल में उतरते हैं .बस इतना जानती हूँ.सचमुच कुछ शे'र दिल को छू गए.
जियो