शोला-ऐ-ग़म में जल रहा है कोई
लम्हा-लम्हा पिघल रहा है कोई
शाम यूं तीरगी में ढलती है
जैसे करवट बदल रहा है कोई
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई
मुझको क्योंकर हो एतबारे-वफ़ा
मेरी जाने-ग़ज़ल रहा है कोई
29 comments:
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
achha sher badahi
शानदार पोस्ट
Hameshaki tarah sabhi ashaar khoobsoorat hain!
ओह क्या बात है... बहुत बढ़िया प्रस्तुति...
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
वाह मनु !क्या खूब कहा है 'ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई'
एक एक शे'र गजब पर 'ये' लाजवाब.
इतने दिनों बाद तुम्हारी नज्म पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. कुछ शे'र तो सचमुच 'शेर' है सबके सब सेर पर सवा सेर हैं.अच्छा लिखते हो. ईमानदार अभिव्यक्ति झलकती है. बधाई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
मनु जी...वाह वाह
शायद नाकाफ़ी है
सच में कमाल का शेर हुआ है..
मुबारकबाद.....
इस ज़ाबिये से कहा गया.....
कोई शेर याद नहीं आ रहा है...
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
बहुत ख़ूब!
Khoobsurat to thi hi ye gazal..
koi shaq ab bhi nahi hai..
मनुजी
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई
अभी हवा ख़राब चल रही है न ।
ख़ूबसूरत शे'र है ।
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई है , स्वागत है !
शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , आइए…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
बहुत शानदार मनु!
is ghazal ka har sher sundar... badhai, badhai..
VERY GOOD
क्या बात है जनाब
मजा आ गया.
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई
सुभान अल्लाह मनु जी...वाह...क्या ग़ज़ल कही है....बेमिसाल...दाद कबूल करें...
नीरज
शोला-ए-गम में जल रहा है कोई
लम्हा-लम्हा पिघल रहा है कोई
ओये होए ...मनु जी ...क्या बात है .....!!
शाम यूँ तीरगी में ढलती है
जैसे करवट बदल रहा है कोई
बहुत खूब.....!!
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
बड़ा ही मासूम है ....बहलने वाला......!!
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
लाजवाब........!!
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई
नहीं आती तो नहीं आती जब आती है तो कयामत ढाती है ........आपकी पोस्ट ....!!
दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई
khabardaar Manuji ..koi avaragardi nahii....bas subah ho ya shaam ..kaam hee kaam ...:))
chaliye uparwala aapko khoob vakt de esee he umda ghajal likhne ke liye .:)
बेहद खूबसूरत गजल।
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
..वाह ! क्या शेर है! बहुत दिनों के बाद आपने एक अच्छी गजल पोस्ट की...आभार।
उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
behad khubsurat, behad meethi
ख्वाब में भी गुमाँ ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
बहुत ही नफ़ीस और शाईस्ता शेर कह दिया गया है,, सच !
ऐसी शिगुफ्त्गी आज कल के सुखन से तो मानो गायब ही हो गयी है
और
क्या ऐसे नहीं हो सकता.... !?!
क्यूं न हो मुझको ऐतबार-ए-वफ़ा
मेरी जान-ए-ग़ज़ल रहा है कोई
क्यूँ नहीं हो सकता हुज़ूर...
ऐसे भी हो सकता है...
और जो फर्क आता है मायने में..एक वक़्त के बाद उसका बदलना भी कोई मायने नहीं रखता...
कार्टून भी अच्छा बन पडा है...
अब आवाज़ भी बता दें कैसी है ......?
"उसके वादे हैं जी लुभाने की शय
और झूठे बहल रहा है कोई"
सोच कर मुस्कुरा रहा हूँ कि ये शेर कहीं मुझ पर निशाना तो नहीं है। :-)
कश्मीर में वापस..उधर रुकना नहीं हुआ कि छुट्टी बीच में ही रद्द हो गयी थी वर्तमान हालात को देखते हुये।
मनु जी ...बेहतरीन गजल !!!
kyaa karein is ghazal kaa....!!
ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।
ख्वाब में भी गुमां ये होता है
जैसे पलकों पे चल रहा है कोई
..vaah kya baat kahi manu ji... bahut sundar
"दिल की आवारगी के दिन आये
फिर से अरमां मचल रहा है कोई..."
क्या क्या याद दिला देते हो यार ....खूबसूरत रचना !
शुभकामनायें !
Dil ki aawargi ke din aaye....... aha kya baat hai
मनु जी ...बेहतरीन गजल !!!
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