पिछली कुछ रातों को जाने क्या क्या ख्याल आये दिल में......
बस हम फर्क ढूंढते रहे
कभी चित्रकार और कलाकार में..
कभी गायक और गवैये में...
कभी ग़ज़लकार और शायर में....
तो कभी..
ब्लोगर्स में और खुद अपने में...
थोड़ा/ज़्यादा फर्क महसूस तो हुआ...
खैर.....
अपना क्या है,
हम तो ऐसे ही सोचते सोचते एक दिन निकल लेंगे...
आप ये ताज़ा ग़ज़ल देखिये..
तू, जो हरदम सही है, तू क्या है
मेरे बारे में लोग जो भी कहें
मेरे बारे में तू क्या कहता है
होश की बात ही नशे में भी
ये भी पीने का कुछ तरीका है
वक़्त जाएगा किस हिसाब में, जो
हमने इक दूसरे पे खरचा है
ईन्चना है तेरा तबस्सुम फिर
मेरे जाने से कैसा कुम्हला है